Month: अप्रैल 2020

पूर्वानुमानकर्ता की गलती

21 सितम्बर, 1938 को दोपहर में, एक युवा मौसम विज्ञानी ने अमरीकी मौसम ब्यूरो को दो अग्र भागों के विषय चेतावनी दी जो एक तूफ़ान को उत्तर की ओर न्यू इंग्लैंड की ओर धकेल रहा है l लेकिन पूर्वानुमान के प्रमुख ने चार्ल्स पियर्स की भविष्यवाणी का मज़ाक बनाया l निश्चय हो एक उष्णकटिबंधीय(tropical) तूफ़ान इतनी दूर उत्तर की ओर हमला नहीं करेगा l 

दो घंटे बाद, 1938 के न्यू इंग्लैंड तूफ़ान ने लॉन्ग आइलैंड पर आक्रमण किया l शाम 4.00 बजे तक वह न्यू इंग्लैंड तक पहुँच गया, जहां जहाज़ पानी में डूब गए और घर टुकड़े-टुकड़े होकर समुद्र में समा गए l छह सौ से अधिक लोग मारे गए l यदि पीड़ितों को पियर्स की चेतावनी मिली होती – ठोस आंकड़ों और उसके विस्तृत नक्शों के आधार पर – उनके बचने की सम्भावना होती l 

यह जानने की अवधारणा कि किसके वचन को माना जाए को पवित्रशास्त्र में अग्रगामी है l यिर्मयाह के दिन में, परमेश्वर ने अपने लोगों को झूठे नबियों के खिलाफ चेतावनी दी थी l “[उनकी ओर] कान मत लगाओं,” उसने कहा l “ये तुमको व्यर्थ बातें सिखाते हैं, ये दर्शन का दावा करके यहोवा के मुख की नहीं, अपने ही मन की बातें कहते हैं” (यिर्मयाह 23:16) l परमेश्वर ने उनके विषय कहा, “यदि ये मेरी शिक्षा में स्थिर रहते, तो मेरी प्रजा के लोगों को मेरे वहां सुनाते” (पद.22) l 

“झूठे नबी” अभी भी हमारे साथ हैं l “विशेषज्ञ” सलाह देते हुए परमेश्वर को पूरी तरह अनदेखा करते हैं या अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उसके शब्दों को मोड़ देते हैं l लेकिन उसके वचन और आत्मा से, परमेश्वर ने वह दिया है जो हमें झूठे को सच से शुरू करने की ज़रूरत है l जैसे-कैसे हम उसके व्बचन की सच्चाई से सब कुछ नापते हैं, हमारे अपाने शब्द और जीवन तेजी से दूसरों के लिए उस सच्चाई को दर्शाते हैं l 

देखभाल

गृह सफाई सेवा की मालकिन, डेबी, निरंतर अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए अधिक ग्राहकों की तलाश करती रहती है l एक बुलावे पर उसने एक महिला से बात की जिसका जबाब था, “मैं अभी इतना कैंसर का रोगी वंचित नहीं होगा l उन्हें मुफ्त गृह सफाई सेवा दी जाएगी l” इसलिए 2005 में उसने एक गैपैसा नहीं दे पाऊंगी; मैं कैंसर का इलाज ले रही हूँ l” उसी समय डेबी ने फैसला किया कि “कोई भी र-लाभकारी संस्था शुरू किया, जहां कंपनियों ने कैंसर से जूझ रही महिलाओं को अपनी सफाई सेवाएँ उपहार स्वरुप प्रदान की l ऐसी ही एक महिला ने तीव्र भरोसा महसूस की जब वह एक साफ़ घर में लौटी l उसने कहा, “पहली बार, मुझे वास्तव में विश्वास था कि मैं कैंसर को हरा सकती थी l”

जब हम चुनौती का सामना कर रहे होते हैं, तो देखभाल और समर्थन की भावना हमें बनाए रखने में मदद कर सकती है l परमेश्वर की उपस्थिति और समर्थन के बारे में जागरूकता विशेष रूप से हमारी भावना को प्रोत्साहित करने के लिए आशा ला सकती है l भजन 46, जो परीक्षाओं के बीच से गुज़र रहे लोगों का पसंदीदा भजन है हमें याद दिलाता है : “परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलनेवाला सहायक l चुप हो जाओ, और जान लो कि मैं ही परमेश्वर हूँ . . . मैं पृथ्वी भर में महान् हूँ l सेनाओं का यहोवा हमारे संग है” (पद.1,10-11) l 

अपने आप को परमेश्वर के वादों की याद दिलाना और हमारे साथ उसकी उपस्थिति हमारे दिलों को नवीनीकृत करने में मदद करने का एक साधन हो सकती है और हमें कठिन समय में जाने का साहस और आत्मविश्वास प्रदान कर सकती है l 

सहायता करने के योग्य

जो की उसकी नौकरी से आठ सप्ताह की “छुट्टी प्राकृतिक आपदा के शिकार लोगों की मदद करने के कारण,छुट्टी नहीं थी l उसके शब्दों में, यह “फिर से बेघर लोगों के बीचरहना था, उनमें से एक बनना था, याद करना था कि भूखा रहना, थका रहना, और भुला दिया जाना कैसा होता था l” सड़कों पर जो का पहला कार्यकाल नौ साल पहले आया था जब वह शहर में बिना नौकरी या रहने की जगह पहुंचा था l तेरह दिनों तक वह कम भोजन या नींद के साथ सड़कों पर रहा l इसी तरह परमेश्वर ने उसे दशकों तक ज़रुरतमंदों लोगों की सेवा के लिए तैयार किया l

जब यीशु धरती पर आया, तो उसने उन लोगों के अनुभवों को साझा करने का भी चुनाव किया, जिन्हें वह बचाने आया था l “इसलिए जब कि लड़के मांस और लहू के भागी हैं, तो वह आप भी उनके समान उनका सहभागी हो गया, ताकि मृत्यु के द्वारा उसे जिसे मृत्यु पर शक्ति मिली थी, अर्थात् शैतान” (इब्रानियों 2:14) l जन्म से मृत्यु तक, मसीह के मानवीय अनुभव से कुछ भी नहीं अछूता नहीं था – पाप को छोड़कर (4:15) l क्योंकि उसने पाप पर विजय पा ली, जब हम पाप करने की परीक्षा में पड़ते हैं, वह हमारी मदद कर सकता है l 

और यीशु को हमारी सांसारिक परवाह करने की आवश्यकता नहीं है l जो हमें बचाता है वह हमसे जुड़ा रहता है और हममें गहरी दिलचस्पी रखता है l जीवन जो भी लाता है, हमें आश्वासन मिलता है कि जिसने हमें हमारे सबसे बड़े दुश्मन से बचाया है, अर्थात् शैतान (2:14), हमारी सबसे बड़ी ज़रूरत के समय में हमारी मदद करने के लिए तैयार है l 

परमेश्वर के लिए भूखा

यीशु में एक नया विश्वासी बाइबल पढ़ने के लिए बेताब था l यद्यपि, उसने एक विस्फोट में अपनी दृष्टि और दोनों हाथों को खो दिया था l जब उसने एक महिला के बारे में सुना, जिसने अपने होंठों से ब्रेल लिपि को पढ़ती थी, तो उसने ऐसा ही करने की कोशिश की – लेकिन जाना कि उसके होंठों की तंत्रिकाओं के शिरे भी नष्ट हो गए थे l बाद में, वह ख़ुशी से भर गया जब उसे पता चला की वह ब्रेल अक्षरों को अपनी जीभ से महसूस कर सकता है! उसने पवित्रशास्त्र को पढ़ने और आनंद लेने का एक तरीका खोज लिया था l 

आनंद और प्रसन्नता की भावनाएं थीं जो नबी यिर्मयाह ने परमेश्वर के शब्दों को प्राप्त करके अनुभव किया l “जब तेरे वचन मेरे पास पहुंचे, तब मैं ने उन्हें मानो खा लिया,” उसने कहा, “और तेरे वचन मेरे मन के हर्ष और आनंद का कारण हुए” (यिर्मयाह 15:16) l यहूदा के लोगों के विपरीत जिन्होंने उसके शब्दों का तिरस्कार किया (8:9), यिर्मयाह आज्ञाकारी था और उनमें आनंदित था l उसकी आज्ञाकारिता, हालाँकि, नबी को अपने ही लोगों द्वारा अस्वीकार कर दिया और गलत तरीके से सताया (15:17) l 

हममें से कुछ ने कुछ इसी तरह का अनुभव किया होगा l हमने एक बार ख़ुशी के सस्थ बाइबल पढ़ी, लेकिन परमेश्वर की आज्ञा मानने से दूसरों को दुःख और अस्वीकृति हुयी l यिर्मयाह की तरह हम अपने बरम को परमेश्वर तक पहुंचा सकते हैं l उसने यिर्मयाह को उस वाडे को दोहराते हुए जवाब दिया जो उसने उसे दिया था जब उसने पहली बार उसे नबी कहा था (पद. 19-21; देखें 1:18-19) l परमेश्वर ने उसे याद दिलाया की उसने अपने लोगों को अभी निराश नहीं होने दिया l हमारा भी यही भरोसा हो सकता है l वह वफादार है और हमें कबी नहीं छोड़ेगा l 

दया-भाव से स्तुति तक

बच्चों के लिए कपड़े की दूकान पर, उत्साहित बच्चों ने कृतज्ञतापूर्वक अपने पसंदीदा रंगों और उचित साइज़ के कपड़े ढूँढने लगे l उन्होंने आत्म-सम्मान प्राप्त किया, आयोजक ने कहा, नए कपड़ों के साथ जिससे उनके मित्रों द्वारा उनकी स्वीकृति बढ़ रही थी,: उन्होंने  ठन्डे मौसम में गर्मी प्रदान की l 

प्रेरित पौलुस को भी एक बागा(cloak) की ज़रूरत थी, जब उसने तीमुथियुस को लिखा, “जो बागा मैं त्रोआस में करपुस के यहाँ छोड़ आया हूँ, जब तू आए तो उसे . . . लेते आना” ((2 तीमुथियुस 4:13) l एक ठन्डे रोमी जेल में, पौलुस को गर्मी की ज़रूरत थी, लेकिन साथ ही साथ संगति भी l “किसी ने भी मेरा साथ नहीं दिया, वरन् सब ने मुझे छोड़ दिया था” उसने शोक प्रगट किया, जब उसने एक रोमी न्यायी का सामना किया (पद.16) l हमारे हृदय इस महान मिशनरी के सच्चे दर्द से छिद गये l 

फिरभी पौलुस के आखिरी लिखी पत्री के इन अंतिम शब्दों में – एक आश्चर्जनक सेवा के बाद उसके विचार – वह दया से प्रशंसा की ओर बढ़ता है l परन्तु प्रभु मेरा सहायक रहा,” वह जोड़ता है, और उसके शब्द हमारे दिलों को समेट देते हैं l जिस प्रकार पौलुस ने घोषणा की, “[परमेश्वर ने] मुझे सामर्थ्य दी, ताकि मेरे द्वारा पूरा पूरा प्रचार हो और सब अन्यजातीय सुन लें l मैं सिंह के मुँह से बचाया गया” (पद.17) l 

यदि आप संकट का सामना कर रहे हैं, गर्माहट के लिए सही कपड़ों की कमी या करीबी दोस्तों की मदद की कमी महसूस कर रहे हैं, तो परमेश्वर को स्मरण करें l वह फिर से सजीव करने, प्रबंध करने और छुड़ाने में विश्वासयोग्य है l क्यों? उसकी महिमा के लिए और उसके राज्य में हमारे उद्देश्य के लिए l